Dussehra Essay in Hindi | दशहरा पर निबंध | विजयादशमी पर निबंध | Dussehra par nibandh hindi mein | दशहरा विजयादशमी त्यौहार निबंध | Essay on Dussehra in Hindi Short & Long
Dussehra Essay in Hindi
दशहरा पर निबंध
भारत में नवरात्रे का पर्व चल रहा है, जिसकी हर प्रदेश में धूम है और नौराते के ठीक एक दिन बाद यानि कि आश्विन माह की दशमी को मनाया जाता है – दशहरा (Dussehra)। दशहरा को हम विजयदशमी (VijayaDashami) के नाम से भी जानते हैं। इस दिन प्रत्येक शहर के हर मोहल्ले, गली में रावण का पुतला फूंका जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत, असत्य पर सत्य की जीत, वीरता और धर्म का परिचायक माना जाता है।
दशहरा (Dussehra) के दिन ही प्रभु राम (Ram) ने रावण (Ravana) का वध कर माता सीता (Sita) को लंका से मुक्त करवाया। इसके अलावा देवी दुर्गा (Goddess Durga) ने भी नौ रात्रि और दसवें दिन के पश्चात महिषासुर का वध किया। यही कारण है कि इस दिन को हमारी संस्कृति में विजयादशमी भी कहा जाता है। यह तिथि हिन्दू कैलेंडर (Calendar) के अनुसार बेहद शुभ भी मानी जाती है।
दशहरा (Dussehra) के दिन को लोग शस्त्र पूजा के लिए भी शुभ मानते हैं, जिसके बाद ही वो कोई नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। सम्पूर्ण भारतवर्ष में इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाया जाता है, बस हर संस्कृति में इसे मनाने के तरीके अलग-अलग हैं।
You can also read : शिक्षक पर भाषण, निबंध व महत्व
दशहरे की आपको व आपके पूरे परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ।
दशहरा असत्य पर सत्य की विजय है।
आप भी हर पथ पर विजयी हों, यही हमारी भगवान से मंगल कामना है।
उत्तरी भारत में नौ दिन तक माता की पूजा-अर्चना करने के बाद दसवें दिन, यानि कि दशहरा (Dussehra) को रावण का पुतला जलाया जाता है। घर-घर में मिठाईयां बनती हैं, लोग नए कपड़े पहनते हैं और कई जगह दशहरे पर मेले (Fair) भी लगते हैं। राम-लीला (Ram-leela) का आयोजन भी किया जाता है।
गुजरात (Gujarat) में भी इसे धूम-धाम से मनाया जाता हैं, यहाँ की युवतियाँ पारंपरिक पोशाक पहन कर गरबा (Garba) नृत्य करती हैं। जबकि, बंगाल और असम की तरफ इसे दुर्गा पूजा (Durga Pooja) के रूप में मनाया जाता है और ये उनका सबसे महत्वपूर्ण पर्व होता है, जिस पर एक से बढ़कर एक भव्य पंडाल लगाया जाता है और ये पर्व यहाँ पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें हर व्यक्ति दिन और रात जागता है।
Essay on Dussehra in Hindi
विजयादशमी पर निबंध
इस पर्व को हमारे कृषि प्रधान देश की संस्कृति से भी जोड़ा जाता है। भारत का किसान इस पर्व पर ईश्वर का आभार प्रकट करता है, क्योंकि यह वर्षा ऋतु की समाप्ति का समय होता है और किसान अपनी फसल को घर लाने वाला होता है। बिना किसी प्राकृतिक आपदा के अच्छी फसल के लिए वो ईश्वर को धन्यवाद करता है।
You can also read : दयालु ग्रामीण
असत्य पर सत्य की जीत के त्यौहार विजयदशमी (दशहरा) की आपको और आपके परिवार को हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं … ईश्वर आपको नई ऊँचाईयाँ दे।
इन्हीं सब धार्मिक (Religious) और सांस्कृतिक कारणों और इतिहास को देखते हुए आज हम इस दशहरा (Dussehra) के पर्व को मनाते हैं। साथ ही ये पर्व (Festival) हमें हमारे भीतर छुपी दस बुराइयों या अवगुणों को छोड़ने और उनसे लड़ने की प्रेरणा देता है – जैसे कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी।
नव रात्रि में माँ की पूजा द्वारा घर को पवित्र करना, दशहरा द्वारा रीति-रिवाज निभाते हुए रावण दहन करना और उसके ठीक 20 दिन पश्चात दीयों और पटाखों के साथ दीपावली (Deepawali) मनाना। पूरा देश त्यौहार के इस समय को खुश होकर मनाता है। लेकिन देश में कितने लोग हैं, जो इन त्योहारों के अर्थ को वास्तव में समझ पाते हैं?
जी हाँ, ये एक अहम प्रश्न है।
भारत (India) का लगभग हर पर्व हमें किसी न किसी चीज़ की सीख अवश्य देता है, पर हमारा ध्यान केवल त्यौहार के दिन मिलने वाली छुट्टियों और नए कपड़ों और मिठाईयों पर होता है। माता की पूजा हम सभी करते हैं, लेकिन माँ दुर्गा ने जिन कुरीतियों के कारण महिषासुर (Mahishasura) का सर्वनाश किया, वो हम सभी में विद्यमान हैं।
You can also read : How to get Success in Hindi
अधर्म पर धर्म की जीत, अन्याए पर न्याय की विजय, बुराई पर अच्छाई की जय-जय कार, यही है दशहरे का त्यौहार … दशहरे की शुभकामनायें।
सम्पूर्ण देश में औरत की कोई इज्ज़त नहीं है, लेकिन दुर्गा पूजा के नाम पर औरत के स्वरुप की महा-पूजा अवश्य करनी है हमें। एक गरीब को खिलाने के लिए रोटी नहीं है हमारे पास, लेकिन ईश्वर पर चढ़ाने के लिए या यूं कहें कि समाज में अपना नाम करने के लिए हम कभी 500 किलो का लड्डू, तो कभी 10 किलो का सोने का सिंहासन अवश्य बनवाते हैं।
दशहरे के पर्व पर भी हम ऐसा ही कुछ करते हैं। पहले तो लोगों में एक-दूसरे के प्रति होड़ नज़र आती है कि किसके रावण का आकार सबसे बड़ा हो, फिर चाहे इस पर कितना ही धन व्यर्थ क्यूँ न गंवाना पड़े। अरे! ज़ोर देना ही है, तो त्यौहार में छिपी उस सीख और भावना को दीजिये जिसके कारण आप इस त्यौहार को मनाना चाहते हैं।
Dussehra Essay in Hindi
Dussehra par nibandh hindi mein
इस दिन रावण का वध श्री राम के हाथों हुआ, जिसका कारण था रावण द्वारा सीता का अपहरण और हनुमान (Hanuman) द्वारा संदेश पाने के बाद भी सीता माँ को श्री राम को न सौंपना। क्या आप उन रावणों को नहीं जानते जो न जाने आज कितनी ही सीताओं का दिन-दहाड़े अपहरण कर ले जाते हैं।
रोज़ हम ख़बरों में एक-न-एक ख़बर ऐसी ज़रूर सुनते हैं, जिसमें किसी औरत की हालत पर तरस आता है।
फिर कैसा रावण-दहन?
You can also read : अमीर कैसे बने
हम दशहरा क्यों मनाते हैं? क्योंकि अधर्म पर धर्म, झूठ पर सत्य, अन्याय पर न्याय और बुराई पर अच्छाई की जीत हो।
रावण तो एक महा-ज्ञानी था, जिसने सीता का अपहरण तो किया, लेकिन उनकी इच्छा के विरूद्ध उनको कभी स्पर्श भी नहीं किया। और इस कलयुग (Kalyug) में हर रावण सीता की आबरू को तार-तार करता है, लेकिन उसका वध नहीं किया जाता। उसको कभी छोड़ दिया जाता है, तो कभी 5 या 7 साल का कारावास।
समझ नहीं आता, कि ये कलयुग की सीता के साथ अन्याय है या सतयुग के रावण के साथ अन्याय हुआ था?
क्या आप मुझे इस सवाल का जवाब दे सकते हैं?
ये सवाल इसलिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि सीता माँ के अपहरण पर रावण को मृत्युदंड दिया गया। जबकि कलियुग में हर सीता-रुपी लड़की किसी न किसी रावण द्वारा अपहृत की जाती है, फिर उसकी आत्मा का बलात्कार किया जाता है, उसे मारा-पीटा जाता है, और अंत में अग्नि या तेज़ाब द्वारा जला दिया जाता है या फिर काटकर किसी नाले में फेंक दिया जाता है।
You can also read : बेस्ट व्हाट्सप्प स्टेटस हिंदी
मैंने महसूस किया है दशहरे पर उस जलते हुए रावण का दुःख,
जो सामने खड़ी भीड़ से बारबार पूछ रहा था …
तुममें से कोई राम है क्या?
उसके पश्चात कई वर्षों तक उस कुकर्म करने वाले पर न्यायालय के निर्णय का इंतज़ार और अंतत: उसे मात्र कुछ वर्षों की सज़ा। आपको कुछ गलत नहीं लगता इसमें।
दशहरा विजयादशमी त्यौहार निबंध
दशहरा पर निबंध
कहीं कोई सीता दहेज़ के लिए जलती है, कहीं कोई छोटी कन्या अपने ही रिश्तेदार का शिकार होती है। कभी कोई घर साफ़ करने वाली नौकरानी मालिक की गन्दी नियत की भेंट चढ़ती है, तो कहीं दफ्तर में काम करने वाली आज के ज़माने की महिला अपने अईयाश बॉस का रोज़ शिकार होती है।
इन सब बातों को सोच कर फिर हमें बताइये कि कैसा दशहरा (Dussehra) मना रहे हैं हम, जब हमारी कोई सीता समाज में सुरक्षित ही नहीं है?
इसके अतिरिक्त भी बहुत सी कुरीतियाँ हैं, जिनके कारण हम रावण से भी बड़े राक्षस बन चुके हैं, जैसे कि – इर्ष्या, धोखा, चोरी, हिंसा, अहम, इत्यादि। इन सभी भावनाओं के कारण हम कोई न कोई कुकृत्य कर ही बैठते हैं और रावण से भी कहीं गंदे कर्मों को अंजाम देते हैं।
You can also read : श्रीमद भगवद गीता के प्रभाव से चुड़ैल भागी
बाहर के रावण को जलाने से कुछ नही होगा, मन के अंदर बैठे रावण को जरूर जलाएँ। दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें।
इन कुरीतियों से लड़कर पहले अन्दर के रावण का सर्वनाश करना होगा, तभी हम वास्तव में दशहरा (Dussehra) जैसे पावन पर्व को सही मायनों में मनाने का अधिकार रखते हैं।
आशा करते हैं कि इस लेख द्वारा आप अपने भीतर के या आपके आस-पास के रावणों से मुक्ति पा सकेंगे और केवल दशहरा ही नहीं, बल्कि आपका हर पर्व आपके लिए बेहद खुशहाली और सुख-समृद्धि लेकर आएगा।
Nice thinkings👍👍👍👍👍
Thank you Mayank ji 🙂
Blog par aane wa apna vichar rakhne ke liye saadar aabhar!! 🙂
NICE
Thank you!! 🙂
वाह बहुत बढ़िया दशहरे की जानकारीपूर्ण लेख
धन्यवाद पुष्पेंद्र जी। 🙂
nice post, thanks for sharing
धन्यवाद … Pradeep ji. 🙂