बिना दान दिए परलोक में भोजन नहीं मिलता । दान की महिमा पर पौराणिक कथा । दान की महिमा पर हिंदी कहानी । Glory of Charity in Hindi Story । Without charity we will not get Food in Heaven in Mythology in Hindi
विदर्भ देश में श्वेत नामक राजा राज्य (reign) करते थे। वे सतर्क होकर राज्य का संचालन करते थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी (Happy) थी। कुछ दिनों के बाद राजा (king) के मन में वैराग्य (reclusion) हो आया। तब वे अपने भाई को राज्य सौंपकर वन में तपस्या करने चले गये।
खाया पिया – अंग लगेगा;
दान किया – संग चलेगा;
बाकि बचा – जंग लगेगा।
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उन्होंने जिस लगन से राज्य का संचालन किया था, उससे भी अधिक लगन से हजारों वर्ष तक तपस्या (austerity) की।
कंचन दीया कारन ने, दरोपदी ने चीर
जो दीया सो पाइया, ऐसे कहैं कबीर
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उत्तम तपस्या के प्रभाव से उन्हें ब्रह्मलोक की प्राप्ति हुई। वहाँ उन्हें सब तरह की सुख-सुविधा मिली, किंतु भोजन (food) का कोई प्रबन्ध न था। भूख (hunger) के मारे उनकी इन्द्रियाँ विकल हो गयीं। उन्होंने ब्रह्माजी से पूछा कि ‘यह लोक भूख-प्यास से रहित माना जाता है; फिर किस कर्म के विपाक से मैं भूख से सतत पीड़ित रह रहा हूँ।’ ब्रह्माजी ने कहा – ‘वत्स! मृत्युलोक में तुमने कुछ दान (donation) नहीं किया, किसी को कुछ खिलाया नहीं। वहाँ बिना कुछ दान (charity) दिये परलोक में खाने को नहीं मिलता। भोजन से तुमने केवल अपने शरीर को पाला है, इसलिये उसी मुर्दे शरीर को वहाँ जाकर खाना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त तुम्हारे भोजन का कोई मार्ग नहीं है। तुम्हारा वह शव अक्षय बना रहेगा। सौ वर्ष बाद महर्षि अगस्त्य तुम्हारा उद्धार करेंगे।’
कोई भी व्यक्ति दान देकर कभी गरीब नहीं बना है।
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ठीक सौ वर्ष बाद दैवयोग से महर्षि अगस्त्य सौ योजना वाले उस विशाल वन में जा पहुँचे। वह जंगल बिलकुल सुनसान था। वहाँ न कोई पशु था न पक्षी। उस वन के मध्य में चार कोस लम्बी एक झील थी। अगस्त्य जी को उसमें एक मुर्दा दिख पड़ा। उसे देखकर महर्षि सोचने लगे कि यह किसका शव है? यह कैसे मर गया। इसी बीच आकाश से एक अदभुत विमान उतरा। उस विमान से एक दिव्य पुरुष निकला। वह झील में स्नान कर उस शव का मांस खाने लगा। भरपेट मांस खाकर वह सरोवर में उतरा और उसकी छटा निहार कर फिर स्वर्ग (heaven) की ओर जाने लगा। महर्षि अगस्त्य ने उससे पूछा – ‘देखने में तो तुम देवता मालूम पड़ते हो, किंतु तुम्हारा यह आहार बहुत ही घृणित है।’ तब उस स्वर्गवासी पुरुष ने अपना पूरा वृत्तान्त कह सुनाया और यह भी बताया कि ‘हमारे सौ वर्ष पूरे हो गये हैं। पता नहीं महर्षि अगस्त्य मुझे कहाँ कब दर्शन देंगे कि हमारा उद्धार होगा?’
दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है।
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जीवन की माप उसके अवधि से नहीं बल्कि उसके दान से है।
अगस्त्य जी ने कहा – ‘महाभाग! मैं ही अगस्त्य हूँ, बताओ तुम्हारा क्या उपकार करूँ?’ तब उसने कहा – ‘मैं अपने उद्धार के लिये आपको एक अलौकिक आभूषण भेंट करता हूँ। इसे स्वीकार कर मेरा उद्धार करें। निर्लोभ महर्षि ने उसके उद्धार के लिये उस आभूषण को स्वीकार कर लिया। आभूषण के स्वीकार करते ही वह शव अदृश्य हो गया और उस पुरुष को अक्षयलोक की प्राप्ति हुई।’
विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए।
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बहुत अच्छी कथा आपने लिखा है|
धन्यवाद!
धन्यवाद … राहुल जी।
Your comments and reaction that increase our moral and help to us make better…..
Thank you so much…and please share this type of things. so that we count in a more better people.
Thank you so much Radha Ji for putting such type of comments which motivates us to write. 🙂
Again, THANKS from the bottom of my Heart. 🙂
Very Nice Story !!!
Ese Hi lekhte rahe
Thanks a lot ma’am …!! 🙂
Dhanyawad.
आपसे एक रिक्वेस्ट है हो सके तो लिंक url और जितना भी pink/ऑरेंज कलर है theame का उसमे बदलाव करे ! आँखे को दिक्कत होती है !
वैसे तो आपका temp बहूत ही अच्छ है
कविता जी ब्लॉग पर आने व अपना कीमती सुझाव देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।
my website dekhe http://www.freemeinfo.com
केतन जी आपकी साइट पर comment का form show नहीं कर रहा है। कृपया इसे सहीं करें। धन्यवाद …. !! 🙂
very nice story. Thanks for sharing it.
धन्यवाद …… बबिता जी 🙂 🙂
Great and Inspiring Article 🙂 loved it 🙂
Thank you so much Sahil Ji … for your lovely comment. 🙂
आपके लिखने का तरीका बहुत ही अच्छा है. 🙂 पडकर अच्छा लगा
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद हिमांशु जी …..!! 🙂 🙂
Very nice post. पर दान हमेशा दिल से करना चाहिए अपने मतलब से नही|
Absolutely right …….. धन्यवाद Achhipost.
आपका लेख बहुत ही अच्छी है| पर दान हमेशा दिल से करना चाहिए अपने मतलब से नही|
बिलकुल सही कहा आपने। लेकिन मेरा मानना है कि जहाँ दान शब्द आ गया वहाँ मतलब तो रहा ही नही।
टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ……. Achhipost !! 🙂
Very nice Story
धन्यवाद, राहुल जी।
vry nice story
Nice but not correct 100%
Thanks Balwant Ji for putting your views ….. धन्यवाद। 🙂
Bahut achi baate likhi hai aap ne
धन्यवाद विजय जी। 🙂 🙂
Bahut hi acha blog hai apka.
Mere Blog Ko agar apki tarah banana ho to konsa template use karna hoga. Blog dekhne ke liye http://www.sharethisindia.com search kryn.
Yasir ji …. maine apni blog par wordpress ki “Unlimited” template use ki hai. Aur uske bad usko custom kiya hai. 🙂