Power of Creative Thinking in Hindi | रचनात्मक सोच की शक्ति | Power of Creative Thinking in Hindi Story | सकारात्मक सोच की शक्ति | बड़ी सोच का बड़ा जादू हिंदी कहानी
एक छोटे से शहर में, सैकड़ों वर्ष पहले, एक छोटे से व्यवसाय (Business) के मालिक ने एक साहूकार (Moneylender) से बड़ी मात्रा में कर्ज ले रखा था। साहूकार बहुत ही बूढ़ा और बदसूरत (Unattractive) दिखने वाला आदमी था, जो व्यापार (business) मालिक की बेटी को पसंद करता था।
साहूकार (Moneylender) ने व्यापारी (Businessman) से एक शर्त रखने का फैसला किया, जो उस कर्ज को पूरी तरह से खत्म कर सके। यह उसकी चाल (Trick) थी। वह यह चाहता था कि वह कर्ज (loan) सिर्फ तभी माफ करेगा जब व्यापारी अपनी बेटी की शादी उससे करेगा। लेकिन यह बात कहने की उसकी हिम्मत (courage) नहीं हो रही थी क्योंकि ऐसा करने से लोगों को उसकी घटिया सोच (Bad thinking) का पता चल जाता।
साहूकार ने कहा कि शर्त (condition) यह है कि वह एक बैग में दो कंकड़ (Pebbles) रखेगा, एक सफ़ेद और एक काला।
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सफलता की खुशियां मनाना अच्छा है लेकिन उससे भी अधिक जरुरी है अपनी असफलता से सीख लेना।
उसके बाद व्यापारी की बेटी उस बैग के पास पहुंचेगी और उस बैग में से एक कंकड़ निकालेगी। अगर कंकड़ काला (black) निकला तो कर्ज पूरा माफ कर दिया जायेगा लेकिन व्यापारी की बेटी को उससे शादी करनी पड़ेगी। लेकिन अगर कंकड़ सफेद (white) निकला तो सारा कर्ज माफ कर दिया जायेगा और व्यापारी की बेटी को उससे शादी भी नहीं करनी पड़ेगी।
साहूकार व्यापारी के बगीचे में कंकरीले सड़क (Pebble road) पर खड़ा था, वह सड़क की तरफ झुका और दो कंकड़ उठा लिए। जब उसने कंकड़ उठाये तो लड़की ने नोटिस (notice) किया कि साहूकार ने दोनों कंकड़ काले ही उठाये हैं और उनको बैग में रख दिए हैं। ऐसा करने के बाद साहूकार ने लड़की से उस बैग से एक कंकड़ निकालने को बोला।
लडकी के पास अब स्वाभाविक रूप से तीन विकल्प थे ताकि वह क्या कर सकें:
1. बैग से कंकड़ निकालने को मना कर दे।
2. दोनों कंकड़ बैग से बाहर निकाले और धोखाधड़ी (Fraud) के लिए साहूकार का पर्दाफाश (बेनकाब/Expose) करे।
3. यह जानते हुए भी कि बैग में दोनों काले पत्थर ही हैं, वह उनमें से एक काला पत्थर निकाले और अपने पिता की स्वतंत्रता (Freedom) के लिए खुद का त्याग (Sacrifice) कर दे।
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मुश्किलें (The difficulties) केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती हैं क्योंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं।
लेकिन इन तीनों ही परिस्थितियों (the circumstances) में लड़की के पिता को ऋण (कर्ज/Loan) चुकाना पड़ता जो कि उसके बस की बात नही थी।
लड़की ने बैग से एक कंकड़ निकाला और उसे देखने से पहले अचानक उस कंकड़ को नीचे के कंकड़ों के बीच में गिरा दिया। और उसने साहूकार से बोला-
“ओह! मैं कितनी बेवकूफ हूँ, मेरे हाँथ से कंकड़ नीचे गिर गया। खैर कोई बात नहीं। आप बैग में से दूसरा कंकड़ निकाल कर यह जान सकते हैं कि मैंने कौन-सा कंकड़ निकाला था।”
यह जाहिर था कि बैग में छोड़ा गया कंकड़ काला ही है और साहूकार को देखकर यह साफ लग रहा था कि वह बेनकाब (expose) नहीं होना चाहता था। इसलिए साहूकार ने ऐसा दिखावा किया जैसे कुछ भी गलत नहीं किया गया हो।
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इंसान को कठिनाइयों (Difficulties) की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता (Success) का आनंद उठाने के लिए ये जरुरी हैं।
और उसने काला पत्थर निकालते हुए बोला कि पहले वाला पत्थर सफेद था इसलिए व्यापारी का सारा ऋण माफ करता हूँ और तुम्हे मुझसे शादी (wedding) भी नहीं करनी पड़ेगी।
शिक्षा | Moral
कठिनाई/परेशानी/मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों लेकिन जब वो आती हैं तो अपने साथ अपना समाधान (हल/Solution) भी जरूर साथ लेकर आती हैं। इसलिए समस्याओं से घबराने और निराश होने की बजाय उनका डट कर सामना करना चाहिए और उनका हल निकालना चाहिए।
क्योंकि परेशानियां हमारे रोना रोने से नहीं खत्म होती हैं वो खत्म होती हैं तो सिर्फ और सिर्फ हमारे दृढ़इच्छाशक्ति और उनका हल निकालने पर।
very good
Thank you Jagdish ji. 😊
nice story
Thanks Pushpendra ji. 😊
बहुत खूब dear में भी यही कहना चाहूँगा की …..मुसीबत से डर के जितना दूर भागोगे मुसीबत और पास आती जाएगी | इसलिए मुशीबत का डटकर सामना करो मुसीबत अपने आप रास्ता बदल लेगी | क्यों की हर मुसीबत को हराने का रास्ता मुसीबत के अंदर ही होता है | 🙂
-by wikihunt.in
Saadar Dhanyawad!! 😊😊
badya article bro
Dhanyawad!! 😊😊
hard work sir
Thank you @Harpreet.
Wonderful story with wonder teaching.
Thanks Anil ji.
Bahut badhiya sir apki ye post behtrin post me se ek h
Kumar ji ब्लॉग पर आने व हमें प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद और आभार।
bhaut bdiya thank u
Dhanyawad @Ekhabar 🙂
बहुत सुंदर कहानी है , सकारात्मक सोच और कार्य ही हमे सफल बनाते हैं,
Bilkul sahi kaha apne Neeta ji. Thank you. 🙂
Beautiful story. Thanks for posting this