Essay On Mahatma Gandhi In Hindi | महात्मा गांधी पर निबंध | Hindi Essay Mahatma Gandhi | महात्मा गांधी का जीवन परिचय / जीवनी | Mahatma Gandhi Hindi Essay | महात्मा गांधी जयंती एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर भाषण
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
गांधी जयंती
उस व्यक्ति का जन्म दिवस आने ही वाला है, जिसका इस देश की आजादी (independence) में सबसे बड़ा हाथ था। ये वो व्यक्ति है जिसने सम्पूर्ण भारत को यह प्रमाणित किया कि अहिंसा की ताकत, हिंसा से कहीं अधिक है। जी हाँ, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं, हम महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की ही बात कर रहे हैं।
आने वाले सोमवार को 2 अक्तूबर है, यानि कि ‘गाँधी जयंती‘ (Gandhi Jayanti)।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) वो व्यक्ति हैं जिनके निस्वार्थ और कठिन प्रयासों से पूरे देश में आजादी के लिए संघर्ष करने की भावना उत्पन्न हुई थी। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की सम्पूर्ण जीवनी तो आप सभी को भली भांति ज्ञात होगी, लेकिन इस गाँधी जयंती के अवसर पर हम आपको गाँधी जी द्वारा आज़ादी पाने के लिए किये गए कुछ सफल प्रयासों के बारे में बताएँगे, ताकि आप समझ सकें कि प्रत्येक युग में प्रेम और अहिंसा का मोल क्या है।
पोरबंदर के साधारण परिवार में जन्मे मोहनदास करमचंद गाँधी भारत के लिए राष्ट्रपिता, बापू, महात्मा गांधी बन बैठे। उन्होंने ये सफ़र बड़ी कठिनाइयों और समपर्ण की भावना के साथ तय किया। इस सफ़र में सत्य उनका शस्त्र बना और अहिंसा उनका एकमात्र मार्ग जिस पर चलकर अंतत: उन्हें आज़ादी रुपी विजय प्राप्त कर ही ली।
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मेरा जीवन मेरा सन्देश है।
महात्मा गांधी पर निबंध
महात्मा गांधी का जीवन परिचय / जीवनी
आइये जानते हैं गांधी जी के मन में कैसे उत्पन्न हुई आज़ादी की भावना और इसे पाने के लिए क्या महत्वपूर्ण कदम उठाये गए-
1. वकालत की पढ़ाई करने सन् 1888 में इंग्लैंड पहुंचे गांधी जी ने वहाँ भारतियों को पश्चिमी सभ्यता से संघर्ष करते हुए पाया। मांसाहारी खाना खाने को बाध्य करने पर उन्होंने शाकाहारी सोसाइटी ज्वाइन की।
यह सब देखकर उनका मन भारतीयों के लिए थोड़ा दुःखी था, वहीँ उन्होंने सभी पवित्र ग्रंथों को पढ़ना आरम्भ किया, जिसके पश्चात उनके स्वभाव में ह्रदय परिवर्तन हुआ।
2. सन् 1893 में गांधी जी मुस्लिम भारतीय व्यापारियों के लिए कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर दक्षिण अफ्रीका पहुंचे जहां उन्होंने अपने जीवन के 21 वर्ष दिए और यह देखा काले गोरे के नाम पर ब्रिटिश लोग भारतीयों से कितना अनैतिक व्यवहार करते हैं।
इसी भेदभाव के विरुद्ध उन्होंने नेशनल भारतीय कांग्रेस का गठन किया। दक्षिण अफ्रीका के सभी काले लोगों के प्रति गोरी जाती का व्यवहार देखते हुए उनका ध्यान अंतर्राष्ट्रीय अन्याय पर केन्द्रित होने लगा और राजनीति (Politics) में उनकी रूचि बढ़ी।
3. सन् 1915 में अपने देश की व्यथा जानने के पश्चात गाँधी जी भारत लौटे और आते ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian national congress) से जुड़ गए। सन् 1918 में उन्होंने बिहार और गुजरात में चंपारण और खेड़ा आन्दोलन का आरम्भ किया जो किसानों की ब्रिटिश जमींदारों के विरुद्ध लड़ाई थी।
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आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी।
4. खेड़ा में सरदार पटेल ने भी गांधी जी का साथ दिया, उन्होंने किसानों के साथ मिलकर अंग्रेजों से बातचीत की जिसमें अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी भारतीय कैदियों को रिहा कर दिया। इसी घटना के पश्चात गांधी जी का नाम सम्पूर्ण भारत में फैला।
5. 1920 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और आज़ादी के लिए निरंतर संघर्ष करने की ठानी। सन् 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आज़ादी की घोषणा भी कर दी।
Hindi Essay Mahatma Gandhi
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर भाषण
6. गांधी जी ने सम्पूर्ण देश को स्वदेशी की राह दिखाई, उन्होंने लोगों से सूत कातने और खादी पहनने का अनुरोध किया। लोगों से विनती की गयी कि वो ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़, उनके सारे सम्मान और तमगे भी लौटा दें। उन्होंने प्रत्येक विदेशी वस्तु न खरीदने की भी सलाह दी। यहीं से असहयोग आन्दोलन का आगाज़ हुआ।
7. गांधी जी के असहयोग आन्दोलन की हवा पूरे देश में फ़ैल गयी, लोगों से इसे अच्छा समर्थन मिला और पूरा देश अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा दिखाई दिया, जिससे अंग्रेज़ सकपका गए।
8. सन् 1922 में असहयोग आन्दोलन बापू को वापस लेना पड़ा, जिसका कारण था चौरा-चौरी की हिंसा। गांधी जी जो अहिंसा की प्रतिमूर्ति थे, उन्होंने यह आन्दोलन लोगों की जान-माल की हानि से डरते हुए वापस लिया और उन्हें राजद्रोह के जुर्म में अंग्रेजों ने 6 वर्ष का कारावास दिया, लेकिन बिगड़ती सेहत के चलते उन्हें 1924 में रिहा कर दिया गया।
9. उनके जेल में रहते जो कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंट गयी थी, रिहाई के पश्चात वो उसे एक करने का प्रयास करते रहे। साथ ही उन्होंने अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ कई आन्दोलन उठाये।
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केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़के तो उसकी कुछ बूंदें अवश्य ही आप पर भी पड़ती हैं।
10. मार्च सन् 1930 में उन्होंने डांडी यात्रा आरम्भ की जिसका एकमात्र उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक क़ानून को तोड़ना था। अपने 78 स्वयंसेवकों के साथ साबरमती आश्रम से 358 किलोमीटर की यात्रा तय कर डांडी में समुद्रतट पर उन्होंने नमक क़ानून तोड़ा।
11. इसके बाद गांजी जी ने एक और शक्तिशाली आन्दोलन आरम्भ किया जिसका नाम था- सविनय अवज्ञा आन्दोलन। ब्रिटिश सरकार इस आन्दोलन को कर हाल में रोकना चाहती थी, फलस्वरूप गांधी जी अपने सभी राजनैतिक कैदियों की रिहाई के बदले आन्दोलन बंद करना स्वीकार किया।
Speech on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी जयंती
12. इसके पश्चात समाज में दलितों की हालत देखते हुए उन्होंने हरिजन आन्दोलन की शुरुआत की। इसके अंतर्गत उन्होंने जाति भेदभाव के विरुद्ध आवाज़ उठायी और 1932 में हुए इस आन्दोलन में उन्होंने दलितों के लिए 6 दिन का अनशन ले लिया।
दलितों को उन्होंने हरिजन नाम भी दिया, लेकिन दलितों को उनकी यही बात बिलकुल पसंद नहीं आई।
13. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात भारत में आरम्भ हुआ भारत छोड़ो आन्दोलन जो गांधी जी के नेतृत्व में अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए करो या मरो की नीति को चुनकर, अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए ही था।
असहयोग हो या सविनय अवज्ञा, गांधी जी का प्रत्येक आन्दोलन केवल देश की आजादी (independence) और सामाजिक कुरीतिओं से लड़ने के लिए ही था। सत्य और अहिंसा की मूर्ति माने जाने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने कभी लोगों की निंदा की परवाह न करते हुए, केवल देश और देशवासियों के हित में सोचा।
वह एक शांतिप्रिय और सिद्धांतवादी महापुरुष थे, जिन्होंने कभी भी हिंसा (Violence) और शस्त्र का मार्ग नहीं चुना। उनके किसी भी आन्दोलन में उन्होंने हिंसा का कभी और किसी भी परिस्थिति में समर्थन नहीं किया।
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विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
इस महापुरुष ने आज़ादी के लिए न जाने कितनी बार जेल की पीड़ा उठायी और अंत में आज़ादी के लिए ही प्राण त्याग दिए। कट्टरपंथी हिन्दू राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी।
इन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि केवल एक सम्मान नहीं हैं, बल्कि देश की सारी जनता और भविष्य में उसी जनता की आजादी (independence) के लिए वो सदैव एक पिता की ही तरह लड़े। प्रत्येक सुख सुविधा का त्याग कर सारे देश को अहिंसा (Nonviolence) की राह दिखाकर उन्होंने इस देश की आजादी (independence) में सबसे अहम भूमिका निभायी।
Such a great post on Mahatma Gandhi ji. Thanks for sharing it.
धन्यवाद बबिता जी। 🙂
महात्मा गाँधी जी पर बहुत अच्छी व् सार्थक पोस्ट
धन्यवाद @Atoot Bandhan
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