
Narak Lok in Hindi | नरक लोक | नरकों का वर्णन | Description of Hell in Hindi | कर्म के अनुसार नरक की यातनाएं | Tortures of hell in Hindi
आज मैं आप लोगों के समक्ष नरकों का वर्णन (Description of hell) करने जा रहा हूँ। कहा जाता है कि भगवान विष्णु का पुष्पादि उपचारों से पूजन करने वाले नरक (hell) को नहीं प्राप्त होते।
✍🏻 आयु के समाप्त होने पर मनुष्य न चाहता हुआ भी प्राणों (souls) से बिछुड़ जाता है। देहधारी जीव जल, अग्नि, विष, शस्त्राघात, भूख, व्याधि या पर्वत से पतन – किसी-न-किसी निमित्त को पाकर प्राणों (Life) से हाथ धो बैठता है।
✍🏻 वह अपने कर्मों के अनुसार यातनाएं भोगने के लिए दूसरा शरीर ग्रहण करता है। इस प्रकार पाप कर्म करने वाला दुःख भोगता है, परन्तु धर्मात्मा पुरुष सुख का भोग करता है।
✍🏻 मृत्यु के पश्चात् पापी जीव को यमदूत (The messenger) बड़े दुर्गम मार्ग से ले जाते हैं और वह यमपुरी के दक्षिण द्वार से यमराज के पास पहुँचाया जाता है। वे यमदूत बड़े डरावने होते हैं। परन्तु धर्मात्मा मनुष्य (Godly man) पश्चिम आदि द्वारों से ले जाये जाते हैं।
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✍🏻 वहाँ पापी जीव यमराज की आज्ञा से यमदूतों द्वारा नरकों (the hell) में गिराये जाते हैं, किन्तु वशिष्ठ आदि ऋषियों द्वारा प्रतिपादित धर्म का आचरण करने वाले स्वर्ग (heaven) में ले जाये जाते हैं।
✍🏻 गोहत्यारा “महावीचि” नामक नरक (narak) में एक लाख वर्ष तक पीड़ित किया जाता है।
✍🏻 ब्रह्मघाती अत्यंत दहकते हुए “ताम्रकुम्भ” नामक नरक (narak) में गिराए जाते हैं और भूमि का अपहरण करने वाले पापी को महाप्रलय काल तक “रौरव-नरक” में धीरे-धीरे दुःसह पीड़ा दी जाती है।
✍🏻 स्त्री, बालक अथवा वृद्धों का वध करने वाले पापी चौदह इंद्रों के राज्यकाल पर्यन्त “महारौरव” नामक रौद्र नरक (hell) में क्लेश भोगते हैं।
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✍🏻 दूसरों के घर और खेत को जलाने वाले अत्यंत भयंकर “महारौरव” नरक (narak) में एक कल्प पर्यन्त पकाये जाते हैं।
✍🏻 चोरी करने वाले को “तामिस्त्र” नामक नरक में गिराया जाता है। इसके बाद उसे अनेक कल्पों तक यमराज के अनुचर भालों से बींधते रहते हैं और फिर “महातामिस्त्र” नरक (narak) में जाकर वह पापी (The sinner) सर्पों और जोकों द्वारा पीड़ित किया जाता है।
✍🏻 मातृघाती आदि मनुष्य “असिपत्रवन” नामक नरक (narak) में गिराए जाते हैं। वहाँ तलवारों से उनके अंग तब तक काटे जाते हैं, जब तक यह पृथ्वी स्थित रहती है।
✍🏻 जो इस लोक में दूसरे प्राणियों के हृदय को जलाते हैं, वे अनेक कल्पों तक “करम्भवालुका” नरक (narak) में जलती हुई रेत में भुने जाते हैं।
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✍🏻 दूसरों को दिए बिना अकेले मिष्ठान्न भोजन करने वाला “काकोल” नामक नरक (hell) में कीड़ा और विष्ठा का भक्षण करता है।
✍🏻 पंचमहायज्ञ और नित्यकर्म का परित्याग करने वाला “कुट्टल” नामक नरक (narak) में जाकर मूत्र और रक्त का पान करता है।
✍🏻 अभक्ष्य वस्तु का भक्षण करने वाले को महादुर्गन्धमय नरक (narak) में गिरकर रक्त का आहार करना पड़ता है।
✍🏻 दूसरों को कष्ट देने वाला “तैलपाक” नामक नरक (narak) में तिलों की भाँति पेरा जाता है।
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✍🏻 शरणागत का वध करने को भी “तैलपाक” में पकाया जाता है।
✍🏻 यज्ञ में कोई चीज देने की प्रतिज्ञा करके न देने वाला “निरुच्छ्वास” में, रस-विक्रय करने वाला “वज्रकटाह” नामक नरक (hell) में और असत्य भाषण करने वाला “महापात” नामक नरक में गिराया जाता है।
✍🏻 पापपूर्ण विचार रखने वाला “महाज्वाल” में, अगम्या स्त्री के साथ गमन करने वाला “क्रकच” में, वर्णसंकर संतान उत्पन्न करने वाला “गुडपाक” में, दूसरों के मर्मस्थानों में पीड़ा पहुँचाने वाला “प्रतुद” में, प्राणिहिंसा करने वाला “क्षारहृद” में, भूमि का अपहरण करने वाला “क्षुरधार” में, गौ और स्वर्ण की चोरी करने वाला “अम्बरीष” में, वृक्ष काटने वाला “वज्रशस्त्र” में, मधु चुराने वाला “परीताप” में, दूसरों का धन अपहरण करने वाला “कालसूत्र” में, अधिक मांस खाने वाला “कश्मल” में और पितरों को पिंड न देने वाला “उग्रगन्ध” नामक नरक (narak) में यमदूतों द्वारा ले जाया जाता है।
✍🏻 घूस खाने वाले “दुर्धर” नामक नरक में और निरपराध मनुष्यों को कैद करने वाले “लौहमय मंजूष” नामक नरक (narak) में यमदूतों द्वारा ले जाकर कैद किये जाते हैं।
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✍🏻 वेदनिन्दक मनुष्य “अप्रतिष्ठ” नामक नरक (hell) में गिराया जाता है।
✍🏻 झूठी गवाही देने वाला “पुतिवक्त्र” में, धन का अपहरण करने वाला “परिलुण्ठ” में, बालक, स्त्री और वृद्ध हत्या करने वाला तथा ब्राह्मण को पीड़ा देने वाला “कराल” में, मद्यपान करने वाला ब्राह्मण “विलेप” में और मित्रों में परस्पर भेद-भाव कराने वाला “महाप्रेत” नरक (narak) को प्राप्त होता है।
✍🏻 परायी स्त्री का उपभोग करने वाले पुरुष और अनेक पुरुषों से सम्भोग करने वाली नारी को “शाल्मल” नामक नरक में जलती हुई लौहमयी शिला के रूप में अपनी उस प्रिया अथवा प्रिय का आलिंगन (hug) करना पड़ता है।
✍🏻 नरकों में चुगली करने वालों की जीभ खींचकर निकल ली जाती है, परायी स्त्रियों को कुदृष्टि से देखने वालों की आँखें फोड़ी जाती हैं, माता और पुत्री के साथ व्यभिचार (Fornication) करने वाले धधकते हुए अंगारों पर फ़ेंक दिए जाते हैं, चोरों को छुरों से काटा जाता है और मांस भक्षण करने वाले नरपिशाचों को उन्हीं का मांस काटकर खिलाया जाता है।
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मासोपवास, एकादशीव्रत अथवा भीष्मपञ्चकव्रत करने वाला मनुष्य नरकों में नहीं जाता।
Bhot dra diya sir apne….ab to galti s bhi glti na kru….yad dila diya apne is jhan s jane k bad bhi 1 aisi jgh h jha hum sbko jana h……hisab dene.
हा हा हा। … अरे नहीं! मेरा मकसद डराना नहीं बल्कि यह है कि लोग सिर्फ अपने फायदे के चक्कर में दूसरों का नुकसान न करें और दूसरों को दुःखी न करें।
क्योंकि हम सबसे ऊपर भी कोई ईश्वरीय शक्ति है जो सबसे बलवान और सर्व शक्तिमान है और वह हमारे कर्मों की निर्णायक भी है। 🙂
sachi bhut hi rochak jaankari thi keep posting …………keep visiting on http://www.kahanikikitab.com
Thank you …. Sarvesh ji. 🙂
Hello Aapne AdSense ke liye apply kab karoge ya aap kyo nahi Kar rahe hai please Tell me
Thanks Akash ji for asking this question. 🙂
Adsense ke liye apply kar chuka hu mai aur Adsense chal bhi rahi hai meri site par. 🙂
bahot hi Rochak aur Daravani Janakari
Ha ha ha …. hmmm …. by the way Thank you so much for visiting my blog and putting your views!! 🙂
Good Post
Saadar aabhar Jamshed bhai.
Nice post,, apka ye post padhkar APArichit movie ki yaad aa gai…
Han ji bilkul saha kaha apne, us movie me bhi narak ki yatnao ke bare me dikhaya gaya hai.
good post bhai accha laga
Protsahan ke liye dhanyawad Yashdeep ji. 🙂
Bhut hi rochak aur draane wali kahani..aap kuch na kuch nya kaise laate rhete ho har wqt… ab mein ek regular reader ban gyi hu
Priyanka ji, blog par aane wa apna vichar rakhne ke liye saadar aabhar wa dhanyawad. 🙂
And, Thanks for being regular reader of our blog!!
wow it amazing and horrible still peoples do sit… agar log dhram ke marg par chle to narak ki jarurat hi na pdhe
Bilkul sahi kaha aapne Anita ji. 🙂 Thank you.