नवाजुद्दीन सिद्दीकी की जीवनी, संघर्ष और सफलता की कहानी | Nawazuddin Siddiqui Biography, Struggle and Success Story in Hindi
ऐसा ऐक्टर जिसे किसी फिल्म में बड़ा रोल हासिल करने में 12 साल लग गए, लेकिन कुछ ही सालों में उसने देश से लेकर विदेशों तक अपनी ऐक्टिंग का लोहा मनवा लिया है। आज हम बॉलीवुड के एक ऐसे ही एक्टर के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनकी लाइफ से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
Nawazuddin Siddiqui (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) एक ऐसे ही Motivational and Inspiring एक्टर हैं। Nawazuddin Siddiqui हिंदी फिल्मों के जाने माने अभिनेता हैं और बॉलीवुड की कई महत्वपूर्ण फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके हैं।
कहते हैं जो लोग अपना सफर काफी नीचे से शुरू करते हैं, वे काफी ऊपर तक जाते हैं। तभी तो 1999 में शूल फिल्म में वेटर और सरफरोश में मुखबिर का रोल करने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी ऐसे सितारे बन चुके हैं जिनकी कान फिल्म फेस्टिवल में एक साथ तीन-तीन फिल्में अपना जलवा बिखेरने जाती हैं तो उन्हें एक नहीं चार फिल्मों के लिए एक साथ राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
प्रारंभिक जीवन (Early Life)
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1974 को U.P के मुज़फ्फरनगर डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से गाँव बुढ़ाना में हुआ था। इनका जन्म जमींदारी मुस्लिम फैमिली में हुआ था। नवाजुद्दीन आठ भाई-बहन में सबसे बड़े है। इनके छोटे भाई का नाम शामस नवाब सिद्दीकी, जो फिल्म डायरेक्टर हैं।
उनके गाँव में 12वी तक स्कूल था और उन्हें आगे की पढाई के लिए शहर जाना था। अब उनके पास गाँव से बाहर निकलने के अलावा कोई विकल्प भी नही था क्योंकि गाँव में खेती के अलावा कोई काम नही होता था। नवाज़ुद्दीन कहते हैं कि उनके गाँव में बस लोग तीन ही चीज जानते हैं – “गेंहूँ, गन्ना, और गन”।
मैंने जीवन में रिजेक्शन और परेशानियों का एक लंबा दौर देखा है, लेकिन मैंने कभी धीरज नहीं खोया सिर्फ और सिर्फ अपना काम करने में लगा रहा। मैंने सिर्फ ओरिजिनेलिटी पर ध्यान दिया। फिर चाहे वह मेरी फिल्में हों या फिर असल जिंदगी, मैं सिर्फ एक अच्छे कलाकार के तौर पर पहचान चाहता हूं। मेरे जीवन का सिर्फ यही फलसफा रहा है, ‘‘यह इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए, आग का दरिया है और डूब कर जाना है।’’ बस इस मशार शेर में इश्क की जगह मैं जिंदगी शब्द जोड़ देता हूं।
जीवन-यात्रा (Career)
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी ग्रेजुएट की पढ़ाई B.Sc Chemistry से गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से किया। उसके बाद इन्होने 1993 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, न्यू दिल्ली में दाखिला लिया और एक्टिंग सीखी। नाटको में पहली बार उनको मुख्य कलाकारों के पीछे भीड़ में रोल दिया गया था। अब उन्होंने थिएटर करने की ठान ली थी और उस समय मुंबई ना आने का फैसला किया था। 1996 में NSD से पास होने के बाद उन्होंने नुक्कड़ नाटक करना शूरु कर दिया था जिसमे किसी भी ब्रांड का विज्ञापन करते थे।
उन्होंने 3-4 साल तक यही नूक्कड़ नाटक करके थोडा पैसा कमाना शुरू कर दिया था लेकिन उनके लिए इतनी कमाई पर्याप्त नही थी जिससे की वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सके। इसलिए उन्होंने Delhi के एक ऑफिस में Watchman का काम किया। अपनी duty ख़तम करने के बाद वो play करते थे। हालांकि, अपना करियर बनाते वक्त उन्होंने परिवार से कोई आर्थिक मदद नहीं ली और बहुत बुरे दिने देखे, जो ultimately उन्हें और strong बनाते गए।
हताशा के इन दिनों में मुझे अपनी मम्मी की एक बात याद रही कि 12 साल में तो घूरे के दिन भी बदल जाते हैं बेटा तू तो इंसान है।
संघर्ष (Struggle)
एक्टिंग का Experience लेने के लिये उन्होने ‘Shakshi Theatre Group’ के साथ काम भी किया, जहां उन्हे मनोज वाजपेयी और सौरभ शुक्ला जैसे कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। लेकिन यहीं से असली संघर्ष की दास्तान शुरू हुई. अब उन्होंने सोचा कि ऐसी गरीबी में जीने के बजाय मुंबई में चलना बेहतर होगा। उसके बाद ये मुंबई चले आये और मुंबई में बहुत स्ट्रगल किया, जहाँ से शुरू हुआ रिजेक्शन का दौर। Mumbai में उन्होंने NSD के senior से मदद मांगी, वो नवाज़ को अपने साथ रखने के लिए राजी तो हो गए पर उन्होंने कहा की उनके साथ रहने के लिए नवाज़ को उनके लिए खाना बनाना होगा।
नवाज़ वो करने के लिए भी राज़ी हो गए आखिर उन्हें अपना सपना जो पूरा करना था। शुरुआत में उन्होंने TV serials में काम करने की कोशिश की, बहुत कोशिशों के बाद उन्हें serials में एक दो बार थोड़े समय के लिए छोटे रोल्स करने को तो मिला जहाँ उन्हें ज्यादातर notice नहीं किया जाता था, उसके बाद उनको ये realize हुआ की वहां उनकी सही जगह नहीं है। वो कभी कभी निराश होकर वापस अपने गाँव लौटने की सोचते थे लेकिन फिर उनको विचार आता कि वापस गाँव जाकर तो खेती करनी पड़ेगी और गाँव के लोग मजाक अलग उड़ायेंगे। इनके पास इतने भी पैसे नहीं थे की room rent दे सके।
सफलता की कहानी (Success Story)
नवाजुद्दीन ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुवात साल 1999 में आमिर खान के साथ फिल्म ‘सरफरोश’ में एक छोटी सी भूमिका से की थी। जिसमे उन्होंने एक चोर का किरदार निभाया जिसके एक दृश्य में आमिर खान पूछताछ के दौरान खूब पीटते है। उसके बाद इन्होने ‘जंगल’ में एक मेसेंजर की भूमिका अदा की थी। इन्हें कोई ऐसी फिल्म नहीं मिल रही थी जिसमे ये अपनी पहचान दिखा सके।
इन्होने सुनील दत्त, संजय दत्त के साथ भी स्क्रीन शेयर किया था फिल्म ‘मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस.’ में। इस फिल्म में इन्होने एक पॉकेट मार की भूमिका अदा किया था जिसने सुनील दत्त के पॉकेट से पर्स चोरी कर ली थी। इस ददृश में भी उनको खूब मार पड़ती है। पहली बार इनको एक एक्टर के रूप में पहचान “पीपली लाइव” फिल्म में मिली जिसमे उन्होंने एक पत्रकार का किरदार निभाया था। Nawazuddin Siddiqui की पहचान Kahani, Paan Singh Tomar, Gangs of Wasseypur जैसी फिल्मो से बनी और इन फिल्मो से ये सब के दिलो पे राज करने लगे।
अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ने Nawazuddin Siddiqui को रातो रात एक मेगास्टार बना दिया। इसके बाद 2013 में उन्होंने हॉरर फिल्म आत्मा में काम किया ओर फिर आमिर खान की फिल्म “तलाश” में काम किया। 2015 में इनके सितारे बुलंद हुए और इन्हें बजरंगी भाईजान और मांझी फिल्म में मुख्य किरदार निभाने का मौका मिला। नवाज़ुद्दीन ने अंजली से शादी की जो उन्हीं के गाँव की थी, उनकी एक लड़की है जिसका नाम शोरा है। है। इस तरह Nawazuddin Siddiqui नवाजुदीन हिंदी सिनेमा के एक ऐसे अभिनेता बन गये जो इस समय संघर्ष के दौर में अर्श से फर्श पर पहुच गये।
शिक्षा (Lesson of Story)
- आत्मविश्वास का शीला इतना बढ़ जाये, हर रुकावट राहों का तेरे सामने झुक जाये।
- करो तुम कुछ ऐसा जतन, कि पूरी दुनिया करे तुमको नमन।
- करो तुम खुद पे भरोसा इतना, कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना।
- हर रोज सूरज उगता है,
शाम को फिर डूबता है,
कहाँ वो कभी थकता है!
Real Life Quotes by Nawazuddin Siddiqui in Hindi
- Quote – मेरा सिद्धांत है, काम करो और दफा हो जाओ।
- Quote – मुम्बई आने के पहले कइयों ने कहा, मत जाओ. वहाँ पे तो सारे लंबे, चौड़े, चिकने लोग चाहिए, तुम क्यों अपना time waste कर रहे हो? मैं यहाँ आया। मैंने serials में कोशिश किया लेकिन कुछ भी नही हुआ। बाद में मैंने छोटे roles करने शुरू किये, मुझे उन्हें करने में कोई हिचक नही थी क्योकि मुझे कोई बड़ा स्टार बनने का सपना नही था।
- Quote – जो important है वह journey है, destination नहीं!
- Quote – कुछ साल पहले मैं एक rejected actor के तौर पे देखा जाता था।
- Quote – पहली फिल्म में 1 minute 1 second का रोल मिला, फिर 1 minute 2 seconds, फिर 1 minute 50 seconds.. फिल्में किसी chance से नही हुईं थीं और मैं prepare भी नही था, कोई लॉटरी नहीं लगी थी। फिर बाद में game समझ में आया। उसमें 12 साल लग गया।
- Quote – मेरी माँ ने मुझसे कहा था, ‘कचरे के ढ़ेर की भी जगह बदलती है तुम तो इंसान हो। तुम्हारा भी दिन आएगा। मेरा मानना है कि वह सही थी। मेरा समय आ गया है और मैं यहाँ हूँ।
- Quote – नवाज़ुद्दीन मजाकिया लहजे में एक कठोर बात कहते हैं, “उस समय serials में छोटे-मोटे किरदार भी सिर्फ खूबसूरत लोगों को दिए जा रहे थे, मुझे लेते तो 2-4 लाइट एक्स्ट्रा लगानी पड़ती।”
7 Rules of Success – Nawazuddin Siddiqui in Hindi
- Rule 1 – कुछ भी स्थायी नहीं है – हर दिन अपने आपमें सुधार करना चाहिए।
Nothing is Permanent – Improve Everyday. - Rule 2 – क्या नहीं करना है, उसे चुनें।
Choose what not to do. - Rule 3 – बड़ी तस्वीर देखें।
See Bigger Picture. - Rule 4 – अलग बनो।
Be Different. - Rule 5 – अभ्यास परिपूर्ण बनाता है।
Practice makes Perfect. - Rule 6 – पहले सीखें फिर उसपे काम करें।
Learn First Then Execute. - Rule 7 – सबकुछ आपके अंदर है।
Everything is in you.
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sach me bohot hi inspiring banda hai
बिलकुल सही कहा आपने MD Wasil Ansari जी।
Nawazuddin ki Biography Maine Pahle Bhi Padhi hui hai,Lekin aapne Kuch Special Likhi hai,,,Maine Apka yeh Article Apne Facebook group me bhi share kiya hai
प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद …. सचिन जी ……!! 🙂 🙂
aapne bilkul alag hi tareeke se isko likha hai… isme jo hai wo koi bhi nahi janta